छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में बीते दो दिनों से हो रही बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
नारायणपुर जिले में बीती रात से हो रही बारिश के बाद सभी छोटे-बड़े नदी-नाले उफान पर है। कोंडागांव से नारायणपुर के बीच छेरीबेड़ा नदी के पुल के ऊपर से पानी बहने के कारण इस मार्ग पर चलने वाली बसों के पहिए थम गए हैं। वहीं, ओरछा से नारायणपुर के बीच पिनगुण्डा और माड़ीन नदी भी उफान पर है। इससे आवागमन बाधित हो गया है। निचली बस्तियों में भी पानी भर गया है। सुरक्षा की दृष्टि से जगह-जगह होमगार्ड के जवानों को तैनात किया गया है।
वहीं, बीजापुर जिले में कल से हो रही बारिश की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-तिरसठ के ऊपर से पानी बह रहा है। इसकी वजह से बीजापुर और जगदलपुर मार्ग से आने जाने वाले सैकड़ो राहगीर अपने वाहनों के साथ फंसे हुए है। इसके साथ ही दर्जनों गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है। वहीं, इंद्रावती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और वह खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। इससे इंद्रावती के किनारे बसे कई गांवों में बाढ़ आने की आशंका है। लोगों को नदी के किनारे जाने से मना किया गया है। साथ ही सतर्क रहने को कहा गया है।
इसी तरह, कांकेर जिले में बीती रात से हो रही बारिश की वजह से कांकेर शहर से गुजरने वाली दूध नदी के अलावा जिले के अन्य इलाकों से गुजरने वाली कोटरी, मेढ़की और खंडी नदी का जलस्तर बढ़ गया है। वहीं, भानुप्रतापपुर-संबलपुर मार्ग पर पानी पुल से लगभग तीन फीट ऊपर बहने के कारण आवागमन बंद हो गया है। इसके साथ ही कोटरी नदी भी उफान पर है। इससे कोयलीबेड़ा मुख्यालय का अट्ठारह ग्राम पंचायतों से संपर्क टूट गया है। कोयलीबेड़ा से अंतागढ़ के बीच फांसीनाला पर तीन फीट ऊपर पानी बहने से इस मार्ग पर आवागमन बाधित हुआ है।
इस बीच, वन मंत्री केदार कश्यप ने नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों के कलेक्टर को प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेजी से चलाने के निर्देश दिए हैं।