राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वर्ष दो हजार पच्चीस के लिए एक सौ उनतालीस पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दी है। इस सूची में सात पद्म विभूषण, उन्नीस पद्म भूषण और एक सौ तेरह पद्मश्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पाने वालों में तेईस महिलाएं हैं।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के रहने वाले पंडीराम मंडावी को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाएगा। पंडीराम बताते हैं कि उन्होंने करीब सोलह साल की उम्र से बांसुरी सहित विभिन्न पारंपरिक वाद्ययंत्रों को बनाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक राजदूत के रूप में वे आठ से अधिक देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। श्री मंडावी, गोंड मुरिया जनजाति के हैं। वे पिछले पांच दशकों से काष्ट शिल्प और जनजातीय वाद्य यंत्रो के निर्माण से जुड़े हुए हैं। उन्हें विशेष करके बस्तर की बांसुरी कही जाने वाली ‘सुलूर’ बनाने में महारत हासिल है। श्री मंडावी अपने पारंपरिक शिल्प को भावी पीढ़ियों को हस्तांतरित करने के लिए अपनी कर्मशाला में अब तक एक हजार से अधिक शिल्पकारों को प्रशिक्षण दे चुके हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पंडीराम मंडावी को पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।