गृहमंत्री अमित शाह ने आज दिल्ली में दो दिवसीय अखिल भारतीय स्पीकर सम्मेलन का दिल्ली विधानसभा में उद्घाटन किया। यह सम्मेलन केंद्रीय विधानसभा के पहले निर्वाचित अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित किया गया है। इस अवसर पर श्री शाह ने कहा कि देश की स्वतंत्रता की ही तरह, आज़ादी के बाद देश को लोकतांत्रिक तरीक़े से चलाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वीर विट्ठलभाई पटेल ने देश को भारतीय आदर्शों पर लोकतांत्रिक तरीक़े से चलाने की आधारशिला रखी थी। श्री शाह ने यह भी कहा कि सदन की गरिमा और अध्यक्ष पद का सम्मान बढ़ाने की दिशा में काम करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि सदन में देश की जनता के मुद्दों को निष्पक्ष रूप से उठाने का अवसर दिया जाना चाहिए। गृहमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित करना हर सदस्य की ज़िम्मेदारी है कि सदन का कामकाज नियमानुसार चले।
इस अवसर पर संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि दो दिन का यह सम्मेलन श्रेष्ठ कार्यशैलियों को सीखने का एक उपयोगी अवसर है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में, संसद और विधानसभाएं महत्वपूर्ण होती हैं और अगर ये दोनों ठीक से काम न करें, तो लोकतंत्र पर सवाल खड़े होते हैं। श्री रिजिजू ने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं का कुशलतापूर्वक काम करना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि विपक्षी होने और बाधक होने में फर्क है। विरोध करना सदस्यों का अधिकार है, लेकिन वे कामकाज को बाधित नहीं कर सकते।
इस अवसर पर दिल्ली के राज्यपाल वी.के. सक्सेना, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली सरकार के कई मंत्री भी उपस्थित रहे। इस आयोजन में राज्य विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और राज्य विधान परिषदों के सभापति और उप-सभापति भी शामिल हैं। दो दिन के इस कार्यक्रम में, पीठासीन अधिकारियों को अपने अनुभव और सर्वोत्तम कार्यशैलियों को साझा करने तथा विधानमंडलों के कामकाज के नए तौर-तरीक़े तलाशने का अवसर मिलेगा। इनमें यांत्रिक मेधा के साधनों का उपयोग करना भी शामिल है। सम्मेलन का उद्देश्य कानून निर्माण में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करना है।
इस अवसर पर गृहमंत्री ने विट्ठलभाई पटेल और भारत में संसदीय संस्थानों के विकास से जुड़े अभिलेखों, तस्वीरों और दस्तावेजों वाली एक विशेष प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। विट्ठलभाई पटेल पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।