दुनिया भर में औसत मासिक तापमान अत्यधिक बढने के कारण 2024 के अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहने की आशंका है। कॉप-29 सम्मेलन के दौरान जारी विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि महत्वाकांक्षी पेरिस समझौता गंभीर खतरे में है। पेरिस समझौते का लक्ष्य धरती की सतह के दीर्घकालिक औसत तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री से नीचे रखना है। समझौते में इस तापमान को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के प्रयासों पर बल दिया गया है।
विश्व मौसम संगठन द्वारा प्रयुक्त छह अंतरराष्ट्रीय आंकडों के विश्लेषण के अनुसार जनवरी से सितंबर के दौरान सतह की वायु का वैश्विक औसत तापमान औद्योगिक युग से पहले के औसत तापमान से एक दशमलव पांच चार डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। इसके कारण अल नीनो की घटना को प्रोत्साहन मिला।
रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2024 का दशक सबसे गर्म रहने का अनुमान है। इसके कारण ग्लेशियर से बर्फ पिघलने, समुद्र का जल स्तर बढ़ने और महासागरों का पानी गर्म होने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विश्व मौसम विभाग की महासचिव सेलेस्ते साउलो ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में तापमान में किसी भी तरह की वृद्धि पर ध्यान देना आवश्यक है और तापमान में अतिरिक्त वृद्धि प्राकृतिक आपदाओं, उनके प्रभावों और जोखिमों को बढ़ाती है।