कोण्डागांव जिले में पारंपरिक मेला-मड़ई के तीसरे दिन कल रात एनसीसी मैदान में पारंपरिक आदिवासी नृत्य का आयोजन किया गया। इस दौरान कोण्डागांव के साथ-साथ नारायणपुर जिले के लगभग 25 आदिवासी लोक नृत्य दलों ने पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन किया। आदिवासियों ने लोक नृत्य के माध्यम से अपनी परंपरा और जीवन की मुख्य पहलुओं का प्रदर्शन किया। खरीफ की फसल कट जाने के बाद क्षेत्र के ग्रामीण देवी-देवताओं के समक्ष नृत्य करते हैं। इस दौरान लोक नर्तक दलों को पुरस्कृत भी किया गया, जिसमें पहला पुरस्कार फरसगांव के कोटपाड़, द्वितीय पुरस्कार नुंगाली और तीसरा पुरस्कार रेंगागोंदी के लोक नर्तक दलों को दिया गया।
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय कोण्डागांव में लगभग 700 वर्षों से पारंपरिक वार्षिक मेला उत्सव का आयोजन किया जाता है। उत्सव की शुरूआत पहली रात निशा जात्रा के तहत मावली माता मंदिर की पूजा के साथ होती है। दूसरे दिन देव मेला का आयोजन होता है, जिसमें 22 पाली से आए देवी देवता भ्रमण कर मेला-मड़ई का शुभारंभ करते हैं।