इनके कल गूंजी पहुंचने की सम्भावना है और दो रात विश्राम के बाद ही लिपूलेख दर्रा होते हुए कैलाश मानसरोवर की ओर रवाना हो सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा जून महीने से विदेश मंत्रालय के सौजन्य से आयोजित की जा रही है और यह अगस्त में सम्पन्न हो जाएगी। केन्द्र ने लिपूलेख दर्रा होते हुए पांच जत्थे को मानसरोवर यात्रा की अनुमति दी है।
प्रत्येक जत्थे में पचास तीर्थ यात्री हैं। सरकार ने सिक्किम मार्ग से पचास-पचास यात्रियों के दस जत्थे को भी नाथुला दर्रा होते हुए मानसरोवर जाने की मंजूरी दी है।