केले की फसल के रेशों से टोपियां बनाई जा रही है। जिनकी मांग अब विदेश में भी होने लगी है। बुरहानपुर के एकझिरा गांव की अनुसुईया चौहान द्वारा बनाई गई टोपियां को लंदन एक्सपोर्ट किया जा रहा है।
प्रदेश के खेतों से निकलने वाला कचरा भी अब सोने के समान बन गया है। दरअसल, खेतों से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल से तरह-तरह के उत्पाद बन रहे हैं, जिनकी देशभर में खासी डिमांड है. इन्हीं उत्पादों से एक है बुरहानपुर की टोपी, जिसके न सिर्फ भारतीय दीवाने हैं बल्कि अब विदेशों में भी ऑनलाइन इसकी डिमांड बढ़ गई है. हाल ही में केला फसल के वेस्टेज से तैयार टोपियों को डिमांड के चलते बुरहानपुर से लंदन एक्सपोर्ट किया गया है। दरअसल, जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर एकझिरा गांव की अनुसुईया चौहान ने केले के रेशों से टोपियां बनाई हैं. उनके द्वारा बनाई टोपी लंदन तक पहुंच चुकी हैं, यह टोपी देखने में बेहद स्टाइलिश हैं और इससे धूप से खासा बचाव होता है। अनुसुइया को लंडन से 10 टोपियों का ऑर्डर मिला है। बता दें कि जिले में करीब 25 हजार हेक्टेयर रकबे में केला फसल उगाई जाती है, इससे न केवल मीठा फल उत्पन्न होता हैं, बल्कि इसके पौधे के रेशों से घरेलू उपयोग की वस्तुओं का भी निर्माण हो रहा है. इससे महिलाओं को काम मिला है, इस काम से महिलाओं को अच्छी आमदनी भी हो रही है. ये महिलाएं अब लखपति दीदियां कहला रही हैं। अनुसुइया काफी खुश है और अच्छी आमदनी कर रही है।
गौरतलब है कि स्व सहायता समूह की महिलाओं को अच्छी ट्रेनिंग दी गई है. इन्हें अब स्वरोजगार मिल गया है। अब जिला प्रशासन ने भी केले के रेशों से बनाए गए उत्पादों को बेचने के लिए बनाना क्रॉप वेबसाइट लांच करने की तैयारियां शुरू कर दी है. इसकी पुष्टि खुद कलेक्टर भव्या मित्तल ने की है।