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अक्टूबर 4, 2024 8:14 अपराह्न

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केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल ने पांच भारतीय भाषाओं को शास्‍त्रीय भाषा का दिया दर्जा

केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल ने कल पांच भारतीय भाषाओं को शास्‍त्रीय भाषा का दर्जा देने के प्रस्‍ताव का अनुमोदन किया। इनमें पाली भाषा भी है, जिसका उद्गम स्‍थल मगध क्षेत्र है। यह बौद्ध शास्‍त्रों की भाषा है, जो पुरातन भारतीय-आर्य वेद और संस्‍कृत से संबंधित है। पाली भाषा को शास्‍त्रीय भाषा का दर्जा देने से इसके अध्‍ययन और संरक्षण को प्रोत्‍साहन मिलेगा। बौद्ध-भारतीय अध्‍ययन सांची विश्‍वविद्यालय के उपकुलपति प्रोफेसर वैद्यनाथ लाभ ने आकाशवाणी से कहा कि सरकार के इस कदम से पाली भाषा के अध्‍ययन और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा तथा इसकी समृद्ध विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा।

प्राकृत भाषा को भाषा को भी शास्‍त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। महात्मा बुद्ध और महावीर के उपदेशों और शिक्षाओं को लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने में प्राकृत भाषा की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। यह दर्जा विशेष रूप से जैन और बौद्ध ग्रंथों के क्षेत्र में भारत की समृद्ध साहित्यिक विरासत के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेगा।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के जैन दर्शन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर फूल चंद जैन ने आकाशवाणी समाचार से बातचीत में कहा कि भारतीय संस्‍कृति में भाषा की विरासत का एक बड़ा हिस्सा है और प्राकृत शास्त्रीय भाषा का दर्जा नागरिकों को इसे सीखने के लिए प्रोत्साहित करेगा।