दिसम्बर 3, 2025 8:37 अपराह्न

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केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क संशोधन विधेयक-2025 लोकसभा में पारित

लोकसभा में केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क संशोधन विधेयक-2025 पारित हो गया है। इस विधेयक का उद्देश्‍य  केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क अधिनियम, 1984 मे संशोधन कर सिगरेट, सिगार, हुक्‍का तम्‍बाकू, चबाने वाले तंबाकू, जर्दा और सुगंधित तम्‍बाकू जैसे तम्‍बाकू उत्‍पादों पर उत्‍पाद शुल्‍क और उपकर बढ़ाना है। इस संशोधन का उद्देश्‍य तम्‍बाकू और तम्‍बाकू उत्‍पादों पर केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क की दर बढ़ाना है ताकि उपकर समाप्‍त होने के बाद कुल कर प्रभाव सुरक्षित रखा जा सके।

विधेयक पर चर्चा का जबाव देते हुए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि यह कोई नया कानून नही है और न ही कोई अतिरिक्‍त कर है। उन्‍होंने कहा कि यह उपकर नहीं है बल्कि यह एक उत्‍पाद शुल्‍क है जो जीएसटी लागू होने से पहले लगा करता था। उन्‍होंने कहा कि जीएसटी आने के बाद भी जुलाई 2017 से 2024 क्षतिपूर्ति उपकर की दरें यथावत रहीं। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले तम्‍बाकू के दाम सालाना बढ़ते थे। उन्‍होंने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी समस्‍याओं को देखते हुए यह जरूरी था, क्‍योंकि अधिक कर बढ़ने से लोग तम्‍बाकू सेवन को लेकर हतोत्‍साहित होंगे। वित्‍त मंत्री ने कहा कि क्षतिपूर्ति उपकर वापस केन्‍द्र के पास आ रहा है जिसे उत्‍पाद शुल्‍क के रूप में दोबारा एकत्र किया जाएगा और 41 प्रतिशत राजस्‍व हिस्‍सेदारी के रूप में राज्‍यों में बांटा जाएगा।

श्रीमती सीतारामन ने कहा कि किसानों को तम्‍बाकू की खेती के नुकसान के बारे में जागरूक करने के लिए पहले भी प्रयास किए गए थे और आज भी किए जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्‍तर्गत फसल विविधता कार्यक्रम में तम्‍बाकू की खेती करने वाले दस प्रमुख राज्‍य शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि 2018 से 2021-22 के बीच एक लाख 12 हजार एकड़ की भूमि को तम्‍बाकू की खेती से हटाकर अन्‍य फसलों की खेती में लगाया गया है। उन्‍होंने कहा कि सरकार का स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यय 2014-15 से 2021-22 के बीच जीडीपी के 1.13 प्रतिशत से बढ़कर 1.84 प्रतिशत हो गया है।

चर्चा की शुरूआत करते हुए डॉ डी पूरनदेश्‍वरी ने कहा कि तम्‍बाकू का सेवन देश में एक बड़ी समस्‍या है और लगभग 13 लाख 50 हजार मौतें कैंसर, ह्दय और फेफड़ों से जुड़े रोगों के कारण होती है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व में तम्‍बाकू से होने वाली मौतें में से लगभग 17 प्रतिशत भारत में होती हैं। उन्‍होंने कहा कि यह विधेयक तम्‍बाकू उत्‍पादों के मूल्‍य में स्थिरता लाएगा तथा समाज में युवाओं को इसके उपयोग के लिए हतोत्‍साहित करेगा। इस विधेयक से राज्‍यों के राजस्‍व पर कोई असर नहीं पड़ेगा और राज्‍यों को केन्‍द्र से मिलने वाली 42 प्रतिशत राजस्‍व हिस्‍सेदारी वैसे ही मिलती रहेगी।

कांग्रेस के कार्ति पी चिदम्‍बरम ने कहा कि तम्‍बाकू के उत्‍पादों के उपयोग के कारण होने वाला आर्थिक नुकसान सालाना लगभग दो लाख करोड़ रूपये है। उन्‍होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि तम्‍बाकू उत्‍पादों के दाम बढ़ाने से इसका सेवन कम करने में मदद मिलेगी क्‍योंकि लोग इसके अन्‍य विकल्‍प तलाश लेंगे। उन्‍होंने कहा कि तम्‍बाकू के उपयोग की समस्‍या के लिए एक समग्र योजना तथा तम्‍बाकू क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को अन्‍य क्षेत्रों में भेजने की जरूरत है।

समाजवादी पार्टी के नरेश चंद्र उत्‍तम पटेल ने सरकार से यह विधेयक स्‍थायी समिति को भेजने की मांग की क्‍योंकि इस विधेयक को तम्‍बाकू की खेती करने वालों पर असर पड़ेगा।