केन्द्र ने प्रमुख खाद्य तेल संघों से कहा है कि वे मौजूदा शून्य और साढ़े 12 प्रतिशत सीमा शुल्क पर आयातित तेल का स्टॉक उपलब्ध रहने तक इसके खुदरा दाम न बढ़ायें। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने कल नई दिल्ली में मूल्य रणनीति के बारे में विभिन्न तेल उत्पादक संघों के प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता की।
हाल ही में सरकार ने घरेलू तिलहन उत्पादकों की मदद के लिए विभिन्न खाद्य तेलों के बुनियादी सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी की थी। 14 सितंबर से खनिज सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी के तेलों पर यह 0 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया था। इससे कच्चे तेलों पर वास्तविक शुल्क साढ़े 27 प्रतिशत हो गया था। इसके अलावा रिफाइंड पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों पर बुनियादी सीमा शुल्क साढ़े 12 प्रतिशत से बढ़कर साढ़े 32 प्रतिशत कर दिया गया था। इस तरह रिफाइंड तेलों पर वास्तविक शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है।
उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि ये समायोजन घरेलू तिलहन उत्पादों को सहयोग के सरकार के जारी प्रयासों के तहत है। त्योहारों से पहले सरकार के इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि कम शुल्क पर आयातित लगभग 30 लाख मीट्रिक टन खाद्य तेलों का भंडार 45 से 50 दिन तक के घरेलू उपभोग के लिए पर्याप्त है।