प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन कर ऋषिकेश नगर निगम ने अन्य नगर निकायों के लिए मिसाल कायम की है। नगर निगम न सिर्फ प्लास्टिक कचरे को सफलतापूर्वक एकत्र कर रहा है, बल्कि उसे रिसाइकिल कर फिर कई तरह से उपयोग में ला रहा है। ऋषिकेश तीर्थ नगरी होने के साथ राफ्टिंग और कैंपिंग का प्रमुख केंद्र है।
इसलिए यहां सालभर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। ऐसे में प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। नगर आयुक्त शैलेंद्र सिंह नेगी की पहल पर ऋषिकेश नगर निगम ने सबसे पहले आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट और वीरभद्र में प्लास्टिक बैंक स्थापित किए।
प्लास्टिक बैंक के लिए बॉक्स बनाने में पुरानी प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया गया। जिसमें लोग खुद ही खाली बोतलें या अन्य प्लास्टिक कचरा डालते हैं। अब तक इन प्लास्टिक बैंकों से करीब 400 किलो प्लास्टिक रिसाइकिल किया जा चुका है।
नगर आयुक्त ने बताया कि ऋषिकेश नगर निगम ने प्लास्टिक कचरे से ‘‘वेस्ट टू वंडर’’ पार्क भी तैयार किया है, जिसमें पुराने टायर, खराब स्ट्रीट लाइट, साइकिल और स्कूटर जैसी वस्तुओं से बच्चों के झूले और सजावटी सामान बनाए गए हैं। महिला समूह भी कूड़ा निस्तारण में अहम भूमिका निभा रहे हैं।