कुल्लू दशहरे को लेकर सभी तैयारिया लगभग पूरी हो चुकी है व कल रविवार को भगवान रघुनाथजी की रथ यात्रा के साथ ही सप्ताह भर चलने वाला मेला शुरू हो जायेगा। कुल्लू दशहरे की विशेषता यह भी है कि जहाँ एक ओर पूरे देश मे दशहरा समाप्त हो जाता है।
वहीं, कुल्लू मे यह आरम्भ होता है। परन्तु इस बार जहां देश के अन्य भागो में 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया गया वही कुल्लू दशहरा 13 अक्टूबर को शुरू हो रहा है l इस मेले को देवी-देवताओ के कुम्भ से भी जाना जाता है क्योंकि ज़िला भर के देवी-देवता इसमे शिरकत करने आते है व घाटी के अराध्य देव भगवान रघुनाथजी के समक्ष शीश नवाते है। मनाली से देवी हडिम्बा आज सुबह अपने मंदिर से कुल्लू को अपने हारयानो संग मेले मे भाग लेने को निकल पड़ी है।
कुल्लू का एतिहासिक ढालपुर मैदान इस समय दुल्हन की भांति सज चुका है व दूर-दराज से आने वाले देवी-देवता यहाँ पहुंचने भी शुरू हो गये है। सांस्कृतिक संध्यायो मे इस बार एक दर्ज़न से भी अधिक विभिन्न देशो के सांस्कृतिक दल अपनी-अपनी प्रस्तुतिया देंगे वही देश के विभिन्न राज्यो के कलाकार भी अपने कार्यक्रम पेश करेंगे। स्टार नाइट में शाहिद माल्या कुलविंद्र बिल्ला, गुरनाम श्रद्धा पंडित, कुमार साहिल दर्शकों का मनोरंजन करेगें।
14 अक्तूबर को सांस्कृतिक परेड का आयोजन किया जाएगा और 19 अक्तूबर को कुल्लू कार्निवल होगा जिसमें विभिन्न सरकारी विभागों के कार्यक्रमों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली झांकियां शामिल होंगी। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए कबड्डी, वॉलीबॉल रस्सा कशी और अन्य खेल प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही है।