कुल्लू जिला में इन दिनों सेब सीजन अपने पूरे यौवन पर है तथा घाटी के किसान बागवान अपनी फसल को स्थानीय मंडियों व् बाहर के प्रदेशो को भेजने में व्यस्त है। सेब जिला की आर्थिकी का मुख्य साधन है और किसान-बागवानों का साल भर खर्चा इसी से चलता है । इस बार फसल कम हुई है तथा बागवानों को उम्मीद थी कि रेट अच्छा मिलेगा परन्तु यह उम्मीद से कम ही मिल रहा है जिसके चलते किसान-बागवान थोड़े निराश है। दाम कम मिलने का कारण सेब के साइज़ का छोटा रह जाना भी है क्योंकि समय पर बारिश नहीं हुई जिसका खामियाजा बागवानों को अब भुगतना पद रहा है । आजकल अच्छी किसम का सेब 70 रूपए से 100 रूपए प्रति किलो तक बिक रहा है । जिनकी फसल अच्छी हुई है वे बागवान अपने उत्पाद प्रदेश के बाहर की मंडियों में भेज रहे है। कुछ बागवान अपना उत्पाद स्थानीय सब्ज़ी मंडियों के जरिए भेजते है जहां उन्हें उसी वक्त पैसा मिल जाता है।
बागवान राजीव का कहना है कि पिछले दो वर्षो की तुलना में इस साल सेब का उत्पादन कम हुआ है । उन्होंने कहा क़ि पहले तो रेट ठीक था परन्तु कुछ दिनों से दाम कम हुए है जिससे बागवान निराश है l सरकार को मार्केट पॉलिसी बनानी चाहिए । मई जून में बारिश कम होने के चलते सेब का आकार छोटा रह गया ।
बागवान आदर्श शर्मा का कहना है कि फसल कम हुई है और रेट भी नहीं मिल पा रहा है ।पूरे साल मेहनत करते है और स्प्रे इत्यादि पर काफी खर्चा हो जाता है पर जब रेट की बात आती है तो उतना मिल नहीं पाता है । हम लोग बारिश पर निर्भर है और इस साल बारिश भी कम हुई।
कृषि उपज मंडी समिति कुल्लू-लाहौल स्पीति द्वारा भी सेब को बाहर के प्रदेशो को भेजा जाता है । इस वर्ष अभी तक 10 लाख से अधिक सेब की पेटिया बाहर की सब्ज़ी मंडियों में भेजी जा चुकी है। मंडी समिति के तहत जिला में 9 सब्ज़ी मंडिया काम कर रही है । सबसे अच्छा काम बंदरोल व् पतलीकूहल सब्ज़ी मंडी में होता है और बागवानों की भी यही कोशिश होती है की वे वहां जाकर ही अपना उत्पाद बेचे। कृषि उपज मंडी समिति कुल्लू व् लाहौल स्पीति की सचिव शगुन सूद ने बताया कि इस साल सेब काफी कम हुआ है। उन्होंने बताया की ए ग्रेड सेब 100 रूपए तक जा रहा है l किसानो को सब्ज़ी मंडियों में कई प्रकार की सुविधाए उपलब्ध कराई जा रही है तथा सब्ज़ी मंडिया सी सी टी वी सुविधा से लैस है।