कुमाऊँ मंडल में इन दिनों लोकपर्व सातू-आठू की धूम है। चंपावत, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर जिलों के साथ ही नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में भी इसे विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है। गौरा महोत्सव के नाम से जाने जाने वाले इस पर्व में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही मांगलिक कार्य आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होता है, जिसे बिरुड़ पंचमी के नाम से जाना जाता है।
इस पर्व में सप्तमी को गौरा और अष्टमी को महेश की मूर्ति बनाकर विधि-विधान से उनकी पूजा कर मांगलिक कार्य किए जाते हैं। इस दौरान गीतों के माध्यम से रामायण, महाभारत पर व्याख्यान देने के साथ ही झोड़ा, चाचरी, न्योली, चैफला, मंडाण, धुमारी, भजन कीर्तन सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
चंपावत जिले के मल्ली हाट निवासी भावना बिष्ट बताती हैं कि सातू आठू पर्व की शुरुआत विभिन्न प्रकार के अनाज भिगोने से होती है।