कुपोषण एवं रक्त की कमी से ग्रसित बालक -बालिकाओं के विकास की नियमित अंतराल में करें जांच। सेम (अतिकुपोषित) बालक अथवा बालिका को चिकित्सकीय परामर्श अथवा अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए सभी बाल विकास अधिकारी करें प्रयास कोई भी ज़रूरत मंद पात्र व्यक्ति योजना के लाभ से वंचित न रहे: तोरुल एस रवीश,उपायुक्त कुल्लू।
समेकित बाल विकास सेवाओं के तहत जिला स्तरीय अनुश्रवण एवं समीक्षा कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त तोरुल एस रवीश ने जिला परियोजना अधिकारी को कुपोषण एवं रक्त की कमी से ग्रसित बालक-बालिकाओं के विकास की नियमित अंतराल पर जांच करते रहने के निर्देश दिए ताकि उनको प्रदान किये जा रहे पोषण के परिणाम का आकलन किया जा सके।
उपायुक्त ने निर्देश दिए की यदि कोई सेम (अतिकुपोषित) बालक अथवा बालिका को चिकित्सकीय परामर्श अथवा अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता हो तो उसे भी समय समय पर स्वयं निरीक्षण करें तथा सम्बंधित बीएम्ओ के साथ चर्चा कर रेफरल आवश्यकता को पूर्ण करना सुनिश्चित करें। उपायुक्त ने जिले में निर्माणाधीन विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों, शौचालय के निर्माण कार्य में तेजी लाने को कहा।
उन्होंने बेटी है अनमोल योजना, मुख्यमंत्री मंत्री कन्यादान योजना, मदर टेरेसा आशय मातृ संबल योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का सही प्रकार से कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिये तथा निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए कार्य करने को भी कहा। उन्होने महिलाओं का घरेलू हिंसा से बचाव अधिनियम 2005 के तहत लंबित मामलों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित बनाने के भी निर्देश दिये। उन्होंने पात्र गर्भवती, धात्री माताओं व 6 साल तक के बच्चों को सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों के तहत पोषण सामग्री उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये।
बैठक की कार्यवाही का संचालन करते जिला परियोजना अधिकारी पदम् देव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2023-24 में जिले मे 21 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से सात केंद्रों का निर्माण कार्य आरम्भ किया जा चुका है, जिसके लिए विभाग के अलावा मनरेगा व 15 वें वित्त आयोग से राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने बताया कि बेटी है अनमोल योजना के तहत वर्ष 2024- में प्रथम तथा द्वितीय घटक में कुल 1555 लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया है तथा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 60 लाभार्थियों को 30 लाख 60 हज़ार रुपये की राशि प्रदान की गई।
मदर टेरेसा असहाय सम्बल योजना के अंतर्गत निःसहाय महिलाओं के बच्चों, अनाथ बच्चों जिनकी आय 18 वर्ष से कम है को पालन पोषण हेतु सहायता प्रदान की जाती है। जिसमें इस वर्ष में 1053 बच्चों व 709 माताओं को 31,31,653 रूपए की राशि दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री शगुन योजना के तहत ऐसी लड़की जिसके माता-पिता जीवित नहीं है, लापता है को शादी के लिए वितीय सहायता प्रदान करने हेतु 31,000 रूपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। वितीय वर्ष 2024-25 में अब तक 62 पात्र लाभार्थी लड़कियों को 19,22,000 की राशि विभाग द्वारा दी गई है।
जिला कुल्लू में कुल स्वीकृत 1061 आंगनवाड़ी केंद्रों तथा 34 मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। कुल्लू जिला में 6 माह से 3 वर्ष तक के 13726 बच्चों व 3 से 6 वर्ष तक के 4792 बच्चों के साथ-साथ 4654 गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषाहार उपलब्ध करवाया जा रहा है। वहीं आंगनवाड़ी कंेद्रों में आने वाले 4792 बच्चों को शालापूवर्क शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। आंगनवाड़ी केंद्रों हेतु पोषाहार की निर्बाध आपूर्ति एवं खाद्य पदार्थों की गुणवता की निगरानी हेतु जिला स्तरीय निगरानी एवं गुणवता समिति का गठन किया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण के दौरान प्रत्येक परिवार में लाभार्थियों उचित मार्गदर्शन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पोषण अभियान जो समग्र विकास और पर्याप्त पोषण पर केंद्रित है 0-6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों, किशोर व किशोरियों, गर्भवती व धात्री माताओं को लक्षित करते हुए जिला में चलाया जा रहा है। जिसका लक्ष्य 0-6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन से बचाव, अल्प पोषण से बचाव, एनीमिया की दर में कमी लाना, कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में की दर से कमी लाना है। बेटी है अनमोल योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार में जन्मी दो बेटियों को 21000 रूपए की राशि एफ.डी. के रूप में बैंक में जमा करवाई जाती है जो 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर पूर्ण राशि ब्याज सहित दी जाती है। इसके तहत वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 15,01300 रूपए का बजट लाभार्थियों पर खर्च किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत बेसहारा लड़कियां जिनके पिता की मृत्यु हो चुकी है या बिस्तर पर गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, तलाकशुदा महिलाओं की पुत्रियों जिनके संरक्षकों की आय 50,000 से अधिक न हो ऐसी लड़की को विवाह के लिए 51000 रूपए की वितीय सहायता प्रदान की जाती है। वित वर्ष 2024-25 में अब तक कुल 40 लाभार्थियों को 20,40,000 की राशि वितरित की गई है।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना में सरकार 27 वर्ष तक के अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ स्टेट के रूप में गोद लेकर उनका भरण-पोषण का सारा खर्च उठा रही है तथा उन्हें 4000 रूपए प्रतिमाह की दर से राशि प्रदान की जा रही है। जिसके अंतर्गत अब तक 50,39138 रूपए की राशि खर्च की जा चुकी है। इस योजना के तहत बिना घर वाले अनाथ बच्चों को घर बनाने के लिए 5 बिस्वा जमीन और 3 लाख रूपए की वित्तीय सहायता व शादी के लिए 2 लाख रूपए तक की सहायता भी प्रदान की जा रही है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रसव पूर्व एवं प्रसव उपरांत उनके अतिरिक्त पोषण हेतु प्रत्येक लाभार्थी महिला को 2 किस्तों में 5000 रूपए व द्वितीय प्रसव पर बेटी पैदा होने पर 6000 रूपए की राशि दी जाती है।
विधवा पुनर्विवाह योजना के तहत वि वर्ष 2024-25 में अब तक 6 पात्र महिलाओं को 2,00,000 रूपए की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी गई है जिसके तहत 12,00,000 रूपए बजट खर्च किया जा चुका है। नाबालिग शोषण पीड़ितों के पुनर्वास सहायता योजना के अंतर्गत 16 वर्ष से कम आयु के बाल-बालिका को कवर किया जाता है तथा उन्हें प्रति माह 7500 रूपए की राशि 21 वर्ष की आयु तक दी जाती है। फोस्टर केयर योजना के अंतर्गत अनाथ बच्चों को 4,000 रूपए प्रतिमाह की दर से राशि दी जाती है जिसमें इस वित्त वर्ष में 15,00,000 रूपए खर्च किए गए हैं। जबकि स्पॉन्सरशिप योजना में अनाथ व अर्ध-अनाथ 128 बच्चों को 4000 रूपए प्रतिमाह दिए जा रहे है।