पिछले दो वर्षों में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए लगभग तीन हज़ार अग्निवीरों ने ऑपरेशन सिंदूर में आगे बढ़कर नेतृत्व किया। अग्निवीरों में से अधिकतर 20 साल के युवा थे, जिन्होंने पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों से भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों की रक्षा की।
इस योजना के अंतर्गत भर्ती किए गए युवाओं ने चार दिन की सैन्य जवाबी कार्रवाई के दौरान आतंक के गढ़ पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। वायु रक्षा इकाई में लगभग 200 अग्निवीर मौजूद थे। पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में भारत के लिये तुरुप का पत्ता साबित हुआ आकाशतीर, दृढ़ अग्निवीरों की सहायता से संचालित किया गया।
अग्निवीर सैनिकों ने पश्चिमी मोर्चे पर तैनात वायु रक्षा इकाई में भी धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया। इसमें गनर, ऑपरेटर फायर कंट्रोल, ऑपरेटर रेडियो और बंदूकें और मिसाइलें लगी हुई भारी-भरकम वाहनों के चालक शामिल थे। रडार और आकाशतीर नोड्स को संचालित करने के अलावा, युवा अग्निवीरों ने पिकोरा, शिल्का, ओएसए-एके, स्ट्रेला और तुंगुस्का मिसाइलों के साथ-साथ मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली का संचालन किया।
उन्होंने संचार नेटवर्क के संचालन और आकाश सहित मिसाइलों के परिवहन और फायरिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों को चलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।