चीन में, शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन के बाद आज जारी तियानजिन घोषणा पत्र में आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और एकजुट संदेश दिया गया। इसमें क्षेत्रीय सहयोग और नवाचार में भारत के बढ़ते योगदान को भी स्वीकार किया गया।
सदस्य देशों ने 22 अप्रैल को भारत के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की घोर निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदनाए व्यक्त की। घोषणा में इस बात पर जोर दिया गया कि इस हमले के जिम्मेदार सभी दोषियों, षडयंत्रकारियों और प्रायोजकों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथवाद से लड़ने के अटूट संकल्प की पुष्टि करते हुए शंघाई सहयोग संगठन के देशों ने स्वार्थ के लिए ऐसे गुटों के उपयोग को खारिज किया और चरमपंथवाद के खतरों से निपटने के लिए हर देश के सम्प्रभु अधिकार और जिम्मेदारी का उल्लेख किया। घोषणा पत्र में आतंकवाद के सभी रूपों और स्वरूपों की निंदा करते हुए कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सीमापार से आतंकवादियों की घुसपैठ की समस्या का समाधान करने का आग्रह किया गया।
घोषणा पत्र में एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के भारत के दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए कहा गया कि यह दृष्टिकोण कई बहुपक्षीय मंचों पर गूंज रहा है।
नवाचार और क्षेत्रीय संपर्क में भारत के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए घोषणा पत्र में इस वर्ष तीन से पांच अप्रैल को नई दिल्ली में पांचवे शंघाई सहयोग संगठन स्टार्टअप मंच की सफल मेजबानी का स्वागत किया गया। इसमें वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार में सहयोग सुदृढ करने में इसकी भूमिका को उजागर किया गया।
सदस्य देशों ने इस वर्ष नई दिल्ली में 21 और 22 मई को आयोजित 20वें शंघाई सहयोग संगठन थिकटेंक मंच की सराहना की और क्षेत्रीय नीति और विकास में सार्थक बातचीत को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।
इसके अलावा वैश्विक कार्य के लिए भारतीय परिषद में शंघाई सहयोग संगठन अध्ययन केन्द्र द्वारा सांस्कृतिक और मानवीय संपर्क में योगदान के लिए सराहना की गई।
तियानजिन घोषणा पत्र आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक प्रयासों को मजबूती देने में महत्वपूर्ण कदम है। इसमें शंघाई सहयोग संगठन के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग को आकार देने में भारत की भूमिका का बढ़ता महत्व भी दिखाई देता है।