भारत, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाते हुए, अपने रोग निगरानी दृष्टिकोण को, पारंपरिक तरीके से जांच की विधियों को परिवर्तित करके एक पूर्वानुमान मॉडल में बदलने जा रहा है। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वास्तविक समय डेटा विश्लेषण और डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म को एकीकृत किया जाएगा।
यह प्लेटफार्म महामारी के बढ़ने से पहले उसकी पहचान करने संबंधी देश की योग्यता को बढ़ावा देगा। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र-एनसीडीसी के अनुसार एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच के तहत ए.आई. आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है।
आकाशवाणी से बातचीत में एनसीडीसी के निदेशक प्रोफेसर रंजन दास ने कहा कि ए.आई संचालित निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया नियामक सक्षम तंत्र समय पर लक्षित कार्यवाही के माध्यम से हजारों लोगों की जान बचाने की क्षमता के साथ स्वास्थ्य सुरक्षा को परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव संक्रामक रोगों और जलवायु संबंधी स्वास्थ्य जोखिमों के विरूद्ध भविष्य के लिए तैयार जन स्वास्थ्य प्रणाली को निर्मित करने और राष्ट्रीय तैयारी को बढ़ाने संबंधी सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
केन्द्र सरकार ने जनवरी 2024 में समुदाय में असामान्य स्वास्थ्य घटनाएं या प्रकोप संबंधी समय पर सूचना सुनिश्चित करने और निगरानी को सशक्त बनाने के लिए सामुदायिक रिपोर्टिंग उपकरण का शुभारंभ किया था। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के प्रमुख और अपर निदेशक डॉक्टर हिमांशु चौहान ने कहा कि सामुदायिक रिपोर्टिंग उपकरण रोगों विशेषकर प्रकोप के पूर्व चेतावनी संकेतों का पता लगाने में समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि सामुदायिक रिपोर्टिंग उपकरण किसी प्रकार के असामान्य मामलों की सूचना लोगों को आसानी से उपलब्ध कराने योग्य बनाएगा।
एनसीडीसी अपनी निगरानी क्षमताओं का विस्तार करने के लिए अन्य मंत्रालयों और राष्ट्रीय विज्ञान संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है।