विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता अब कोई विकल्प नहीं बल्कि एक आर्थिक, रणनीतिक और भू-राजनीतिक आवश्यकता है। दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि भारत को हरित और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाना चाहिए। ऊर्जा परिवर्तन सतत विकास, आर्थिक मजबूती और वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक अनुकूलता के लिए आवश्यक है। श्री सिंह ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करने से भारत की आत्मनिर्भरता मजबूत होती है और यह उसे अपरिहार्य वैश्विक बदलाव के लिए भी तैयार करता है।
वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए श्री सिंह ने कहा कि देश अब निष्क्रिय भागीदार नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण और जैव प्रौद्योगिकी के उदाहरण भी दिए, जहां भारतीय नवाचार से वैश्विक समुदाय को लाभ मिल रहा है।
ऊर्जा मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि यद्यपि नवीकरणीय ऊर्जा देश के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगी, लेकिन डेटा सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उन्नत कंप्यूटिंग जैसे कुछ क्षेत्रों को निर्बाध, स्थिर, सातों दिन चौबीस घंटे बिजली की आवश्यकता होती है, जहां परमाणु ऊर्जा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में नवाचार और कार्यान्वयन का एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी का आह्वान किया है।