उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन ने कहा है कि संवाद, विचार-विमर्श, वाद-विवाद और चर्चा संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांत हैं। श्री राधाकृष्णन आज नई दिल्ली में राज्यसभा के विभिन्न दलों के नेताओं के साथ उच्च सदन के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने सदस्यों से सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को उठाने के लिए शून्यकाल, विशेष उल्लेख और प्रश्नकाल जैसे उपलब्ध साधनों का पूरा उपयोग करने का आग्रह किया।
श्री राधाकृष्णन ने कहा कि भारत का संविधान और राज्यसभा की नियम पुस्तिका संसदीय संवाद की लक्ष्मण रेखा निर्धारित करती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सदन में हर दिन, हर घंटे, हर मिनट, हर सेकंड का उपयोग लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए किया जाना चाहिए। राज्यसभा के सभापति ने सभी नेताओं को उनकी अंतर्दृष्टि और भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और बातचीत को शानदार सफलता बताया। पिछले महीने राज्यसभा के सभापति का कार्यभार संभालने के बाद श्री राधाकृष्णन की पार्टी नेताओं के साथ यह पहली बैठक थी। राज्यसभा में सदन के नेता जगत प्रकाश नड्डा, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. एल. मुरुगन, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, द्रमुक नेता तिरुचि शिवा, सपा नेता राम गोपाल यादव, माकपा के जॉन ब्रिटास, असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य, आप के संजय सिंह, रालोद के उपेंद्र कुशवाहा और अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य बैठक में शामिल हुए।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि राज्यसभा के सभापति ने आज एक औपचारिक परिचयात्मक बैठक आयोजित करके एक अच्छी परंपरा की शुरुआत की है जिसमें उन्होंने सभी की बात सुनी और सभी के विचार जाने।
सीपीआईएक के जॉन ब्रिटास ने कहा कि सभापति ने एक बहुत ही उपयोगी और उपयोगी सत्र आयोजित किया। वह सुझावों के लिए खुले थे और विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों ने अपने विचार साझा किए।
बीजू जनता दल के नेता सस्मित पात्रा ने कहा कि यह एक बहुत ही सकारात्मक बैठक थी और उनके बीच कई सार्थक बातचीत हुई।