दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने उपभोक्ताओं को ठगी और धोखाधडी से बचाने के लिए दिल्ली विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2011 में संशोधनों को मंजूरी दी है। इन संशोधनों के तहत गैर-मानक बाट और माप पद्धति का इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माने की राशि बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
उपराज्यपाल कार्यांलय ने बताया कि गैर-मानक बाट एवं माप उपकरण का इस्तेमाल करने वाले निर्माताओं पर जुर्माने की राशि 2,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि गैर-मानक पैकेज बेचने पर खुदरा विक्रेताओं पर 2,500 रुपये के बजाय 5,000 रुपये और निर्माताओं पर 25,000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।
उपराज्यपाल कार्यालय ने बताया कि यह कदम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे बाजार में धोखाधड़ी और अनियमितताओं को रोका जा सकेगा। उपराज्यपाल कार्यांलय ने संशोधन से व्यापारिक पारदर्शिता बढ़ेगी और मापदंडों के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित किया जाएगा। इस निर्णय से उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षित और निष्पक्ष बाजार मिलेगा।