उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल प्रयागराज में महाकुम्भ 2025 के लिए बहुरंगी नये प्रतीक चिह्न का अनावरण किया। यह प्रतीक चिह्न धार्मिक और आर्थिक समृद्धि को दर्शाता है। इस प्रतीक चिह्न में पौराणिक समुद्र मंथन से निकले पवित्र पात्र अमृत कलश को चित्रित किया गया है।
इस प्रतीक चिह्न पर मंदिर, ऋषि, कलश, अक्षत वट और भगवान हनुमान का चित्र अंकित है। यह सनातन सभ्यता में प्रकृति और मानवता के संयोजन को दर्शाता है। यह महाकुम्भ-2025 के प्रेरणादायक प्रतीक के रूप में आत्म-जागरूकता और जनकल्याण के सतत प्रवाह को दर्शाता है।
कुम्भ मेला को यूनेस्को ने मानवता की अगोचर सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी है। कुम्भ मेला को विश्व में तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण सम्मेलन माना जाता है। इस मेले का नीति वाक्य सर्वसिद्धिप्रद: कुम्भ: है।
संगम की सजीव सेटलाइट छवि इस प्रतीक चिह्न की डिजाइन में स्पष्ट रूप से अंकित है। यह जीवन के प्रतीक के रूप में संगम की तीन नदियों के शाश्वत प्रवाह को भी दर्शाता है। यह समावेशन महाकुम्भ की समृद्ध परंपरा में प्रयागराज के आध्यात्मिक और भौगोलिक महत्व को उजागर करता है।
इस दौरान श्री योगी ने कहा कि महाकुंभ के सिलसिले में पांच हजार छह सौ करोड़ रुपये की केन्द्र और राज्य सरकार की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि बाढ़ और बारिश की वजह से अपूर्ण योजनाओं को पूरा करने की आखिरी तारीख 15 दिसम्बर कर दी गई है। महाकुंभ के महत्व का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का यह अति महत्वपूर्ण और विशाल आयोजन है। इसके आयोजन में सरकार संतों और प्रयागराज वासियों की सामूहिक जिम्मेदारी जरूरी है।
यूनेस्को ने प्रयागराज कुंभ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी। हमारा प्रयास होना चाहिये कि फिर इस बार प्रयागराज कुंभ को वैश्विक स्तर पर इसी प्रकार की मान्यता प्राप्त हो, ये हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बनती है और वह टीम वर्क पूरे कुंभ के दौरान यहां दिखनी भी चाहिये। प्रयागराजवासियों के मन में भी दिखनी चाहिये। इस दौरान अखाड़ा परिशद के पदाधिकारियों और प्रमुख साधु-संत भी मौजूद थे।