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अक्टूबर 8, 2024 5:06 अपराह्न

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उत्तरी भारत के प्रसिद्व तीर्थ स्थल चूंड़चांदनी में 11 अक्तूबर को उमड़ेगा आस्था व श्रद्धा का जनसैलाब

उत्तरी भारत के प्रसिद्व तीर्थ स्थल चूंड़चांदनी में 11 अक्तूबर को आस्था व श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ेगा। सिरमौर और शिमला की सीमा पर  समुद्र तल से करीब 12 हजार की फुट की ऊंचाई पर स्थित शिव के अंशावतार शिरगुल मंदिर  चूड़धार में 11 अक्तूबर को शांद महायज्ञ होने जा रहा है। जिसमें शिमला, सोलन, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार-बाबर क्षेत्र के करीब तीस हजार लोगों के पहूंचने का प्रशासन ने अनुमान लगाया है। बता दें कि चूड़धार की चोटी पर शिरगुल मंदिर का जीर्णोद्वार करने उपरांत काफी वर्षों उपरांत  यहां पर शांद महायज्ञ होने जा रहा है।
 

बता दें शिरगुल महाराज की जन्म स्थली राजगढ़ के समीप शाया में मानी जाती है जहां पर कालांन्तर में उन्होने राजा भूखड़ू के घर अवतार लिया था। जबकि चूड़धार शिरगुल की तपोस्थली मानी जाती है जहां पर शिरगुल द्वारा स्थापित स्वंयभू शिवलिंग मंदिर में विराजमान है जिसके दर्शन करके श्रद्वालु पुण्य कमाते हैं। इस मंदिर में शिवलिंग अलावा कोई मूर्ति नहीं है। हर वर्ष लाखों की तादाद में श्रद्धालु और पर्यटक चूड़धार चोटी पर पहूंचकर मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के अतिरिक्त प्रकृति की नैसर्गिक छटा का आन्नद उठाते हैं।
     

बता दें कि चूड़धार मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य पिछले 20-22 वर्षों से चल रहा था, जो अब पूरा हो चुका है। मंदिर की लकड़ी की अद्भुत नक्काशी हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा की गई है। सूत्रों के मुताबिक इस शांद महायज्ञ में  शिरगुल देवता की बारह पालकियां शोभायात्रा में शामिल होगी। 11 अक्तूबर को कुरूड़ स्थापित किया जाएगा जोकि इस महायज्ञ का प्रमुख आकर्षण का केंद्र होगा।

जानकारी के मुताबिक इस महायज्ञ का संचालन ‘खूंद’ समुदाय के के द्वारा किया जा रहा है, जो खश जाति की एक वीर शाखा है। यह महायज्ञ धार्मिक आस्था और परंपराओं के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति का भी प्रतीक है, जिसे सफल बनाने के लिए चूड़ेश्वर सेवा समिति के अतिरिक्त हजारों श्रद्धालु और सेवक मिलकर कार्य कर रहे हैं। सिरमौर की तरफ से जाने वाले श्रद्धालुओं की व्यवस्था का कार्य एसडीएम संगड़ाह देख रहे हैं जबकि यह मंदिर एसडीएम चौपाल के अधीन आता है। एसडीएम चौपाल हेमचंद वर्मा के अनुसार शांद महायज्ञ के लिए प्रशासन की ओर से सभी प्रबंधों को अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि महायज्ञ में आने वाले श्ऱद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

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