मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड में गैर-पंजीकृत और मानकों से नीचे चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रणनीति बनाते हुए राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और एसटीएफ के साथ मिलकर अभियान तेज कर दिया है।
राज्य में कई नशा मुक्ति केंद्र बिना पंजीकरण और निर्धारित मानकों के संचालन कर रहे हैं। ऐसे केंद्रों की पहचान कर उन्हें बंद करने और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। प्रत्येक जिले में औचक निरीक्षण बढ़ाए जाएंगे और एसटीएफ, निरीक्षण टीमों को सहयोग देगी।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और पुनर्वास केंद्रों की गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा। सभी केंद्र केवल शेल्टर होम न रहकर पूर्ण पुनर्वास की दिशा में काम करें, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में स्वास्थ्य और पुलिस विभाग मिलकर नशा मुक्ति केंद्रों को मानकों के अनुरूप और जवाबदेह बनाने पर काम कर रहे हैं। यह अभियान निरीक्षण तक सीमित न रहकर कठोर प्रशासनिक फैसलों के साथ आगे बढ़ेगा, ताकि नशा मुक्ति की आड़ में हो रही अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सके।