उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पारंपरिक वन ग्रामों और खत्तों में रह रहे लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए राज्य के प्रमुख वन संरक्षक को एक सप्ताह के भीतर कार्ययोजना पेश करने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि इन गांवों के लोग बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं से वंचित हैं और अपने अधिकारों से भी अनजान हैं।