ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद-रज़ा अरेफ़ ने कहा है कि अनुकूल परिस्थितियों में अमरीका के साथ परमाणु वार्ता की जा सकती है। अरेफ़ ने संवाददाताओं से कहा कि ईरान बातचीत के लिए तैयार है क्योंकि बातचीत दोनों पक्षों के हितों की रक्षा के लिए है।
अरेफ़ ने कहा कि ईरान किसी भी तरह से बातचीत का विरोधी नहीं है लेकिन वह ऐसी वार्ता का समर्थन नहीं करेगा जो केवल अमरीका के हित में हो। उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी देशों ने ईरान के परमाणु मुद्दे को गलत तरीके से एक राजनीतिक परियोजना बनाकर पेश किया है।
ईरान और अमरीका के बीच छठे दौर की अप्रत्यक्ष परमाणु वार्ता से दो दिन पहले 13 जून को इज़राइल ने ईरान के कई परमाणु और सैन्य स्थलों पर बड़े हवाई हमले किए जिसमें वरिष्ठ कमांडर परमाणु वैज्ञानिक और कई नागरिक मारे गए। जिसके जवाब में ईरान ने इज़राइल पर मिसाइल और ड्रोन से हमले किए। 22 जून को अमरीका की सेना ने नतांज़, फ़ोर्डो और इस्फ़हान के तीन ईरानी परमाणु ठिकानों पर बमबारी की। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने कतर में अमरीका के अल उदीद एयरबेस पर हमला किया।
12 दिन के युद्ध के बाद 24 जून को ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम हो गया।