भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर डॉ. माइकल डी. पात्रा ने कहा है कि पूंजी संचय को सुविधाजनक बनाने, लेन देन लागत को कम करने और जोखिम प्रबंधन में अपनी भूमिका के कारण, भारत के समावेशी और सतत भविष्य के लिए मजबूत वित्त क्षेत्र महत्वपूर्ण है। आज मुंबई में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित तीसरे ‘वित्तीय शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए डॉ. पात्रा ने भारत की उल्लेखनीय विकास गाथा पर प्रकाश डाला।
डॉ. पात्रा ने इस बात पर जोर दिया कि वित्त और विकास के बीच गहरे संबंधों को देखते हुए, भारत के भविष्य को नया आकार देने में वित्त की भूमिका निर्विवाद है। उन्होंने बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, कौशल, जलवायु परिवर्तन और डिजिटीकरण सहित पांच विशिष्ट क्षेत्रों की रेखांकित किया, जिनमें एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के उदय में सहयोग करने में वित्त महत्वपूर्ण होगा।