केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर अधिनियम के अंतर्गत गलतियों को दूर करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश जारी होने की तारीख से और लंबित तथा नए आवेदनों–दोनों पर लागू होंगे। इसका उद्देश्य मौजूदा दिशानिर्देशों की जटिलताओं को कम करना, कंपाउंडिंग प्रक्रिया को सरल बनाना और कंपाउंडिंग शुल्क को कम करना है।
नए दिशा-निर्देशों में आर्थिक अपराधों के वर्गीकरण को समाप्त करना, आवेदन दाखिल करने के लिए दिए जाने वाले अवसरों की सीमा हटाना और गलतियों को ठीक करने पर नए आवेदनों की अनुमति देना शामिल हैं।