भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 आज लोकसभा में पेश किया गया। यह कानून पोर्ट्स से संबंधित नियमों को एकत्रित करने, समग्र पोर्ट विकास को बढ़ावा देने, व्यापार करने में सहूलियत प्रदान करने और भारत के समुद्रतट का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह विधेयक राज्य समुद्री बोर्डों की स्थापना और सशक्तिकरण का भी प्रावधान करता है, ताकि प्रमुख पोर्ट्स के अलावा अन्य पोर्ट्स का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके, साथ ही समुद्री राज्य विकास परिषद की स्थापना की जाएगी, ताकि पोर्ट क्षेत्र का संरचित विकास और प्रगति हो सके। यह विधेयक पोर्ट्स पर प्रदूषण, आपातकाल, सुरक्षा, नेविगेशन और डेटा प्रबंधन के लिए प्रावधान करता है।
बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि यह विधेयक पोर्ट संबंधित विवादों के निपटारे के लिए निर्णय तंत्र प्रदान करता है। इससे पहले, विधेयक का विरोध करते हुए सीपीर्ई(एम) के के. राधाकृष्णन ने आरोप लगाया कि यह विधेयक देश की संघीय संरचना को कमजोर करता है और पोर्ट्स पर केंद्रीय नियंत्रण स्थापित करेगा। टीएमसी के सौगात राय ने भी विधेयक के परिचय का विरोध किया।