भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि कोवैक्सीन के प्रभावों पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अध्ययन से संबंधित लेख गुमराह करने वाला है और इसमें परिषद का भी गलत तरीके से हवाला दिया गया है। आईसीएमआर ने कहा है कि वह किसी भी तरह से इस अध्ययन से जुड़ा नहीं है और उसने शोध के लिए कोई वित्तीय या तकनीकी सहायता प्रदान नहीं की है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने पत्र के लेखकों और पत्रिका के संपादक को पत्र लिखकर कहा है कि आईसीएमआर के उल्लेख को तुरंत हटाया जाए। उन्होंने कहा कि इस शोध में जो भी घटनाएं बताई गई हैं, उनको कोविड-19 टीकाकरण से नहीं जोड़ा जा सकता है।
उधर, आईसीएमआर ने अधूरा शोध पत्र प्रस्तुत करने पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है। निदेशक की ओर से मामले की जांच को लेकर एक कमेटी गठित की गई है।