घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005 के बारे में आम महिलाओं को जागरूक करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने शनिवार को गांव चकमोह में एक जागरूकता शिविर आयोजित किया। इसकी अध्यक्षता जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार ने की।
इस अवसर पर उन्होंने बताया कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005, भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जिसमें महिलाओं के लिए कई विशेष प्रावधान किए गए हैं। इसका मकसद, घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना और पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद प्रदान करना है। यह अधिनियम 26 अक्तूबर, 2006 को लागू हुआ था।
अनिल कुमार ने बताया कि अगर किसी महिला के साथ घरेलू रिश्ते में हिंसा या गलत व्यवहार होता है, तो वह महिला आरोपी व्यक्ति की शिकायत इस अधिनियम के तहत कर सकती है। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा, निवास और तुरंत राहत प्रदान करने के लिए इस अधिनियम के तहत कई तरह के आदेश दिए जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि शारीरिक हिंसा जैसे कि थप्पड़ मारना, धक्का देना और पीटना इत्यादि के अलावा यौन हिंसा, अपमान, विश्वासघात, डराना-धमकाना, किसी महिला को उसके परिवार और दोस्तों से अलग करना, उसके आने-जाने पर निगरानी रखना, उसके वित्तीय संसाधनों, रोज़गार, शिक्षा या चिकित्सा देखभाल तक पहुंच को प्रतिबंधित करना जैसे कृत्यों को भी घरेलू हिंसा ही माना जा सकता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि इस तरह के अत्याचार की शिकार महिला अपने नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र में शिकायत दर्ज करवा सकती है। शिकायत मिलते ही अधिनियम के तहत त्वरित कार्रवाई की जाती है।
इस मौके पर जिला समन्वयक कल्पना ठाकुर ने भी महिलाओं को सखी वन स्टॉप सेंटर हमीरपुर और संकल्प हब के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
Site Admin | नवम्बर 30, 2024 5:45 अपराह्न
आंगनवाड़ी केंद्रों में भी की जा सकती है घरेलू हिंसा की शिकायत
