सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि अवमानना के अधिकार का प्रयोग करते समय न्यायालयों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह शक्ति न तो न्यायाधीशों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा कवच है और न ही आलोचना को चुप कराने का हथियार। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा आपराधिक अवमानना मामले में एक महिला को दी गई एक सप्ताह की सजा से जुडे मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने महिला की सजा माफ कर दी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दया न्यायिक विवेक का अभिन्न अंग बनी रहनी चाहिए और अवमानना करने वाले व्यक्ति द्वारा अपनी गलती को ईमानदारी से स्वीकार करने और उसके लिए प्रायश्चित करने की इच्छा रखने पर दया बरती जानी चाहिए।
Site Admin | दिसम्बर 10, 2025 10:07 अपराह्न
अवमानना शक्ति न न्यायाधीशों का निजी कवच, न आलोचना दबाने का साधन: सुप्रीम कोर्ट