अमरीका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और इसके अग्रणी संगठन ‘द मजीद ब्रिगेड’ को विदेशी आतंकवादी संगठन सूची में डाल दिया है। इस फैसले की मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने आलोचना करते हुए कहा कि बलूच आतंकी नहीं हैं बल्कि वो खुद पाक प्रायोजित आतंकवाद का शिकार हैं। बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलूच ने कहा कि बलूचिस्तान ने 78 वर्षों तक पाक प्रायोजित आतंकवाद, आर्थिक लूट, पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों से उत्पन्न रेडियोधर्मी विषाक्तता, विदेशी आक्रमण और चरमपंथी पाकिस्तान के क्रूर कब्जे को झेला है।
उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के लोग आईएस-खुरासान (आईएस-के) के शिकार हो रहे हैं। आईएस-के आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की एक शाखा है, जिसे देश की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) फलने-फूलने दे रही है। मीर ने बताया कि आईएस-के ने हाल ही में बलूच राजनीतिक दलों और उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा का आह्वान करते हुए एक तथाकथित फतवा जारी किया है।
मीर ने एक्स पोस्ट में कहा, यह इस बात का एक और स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे पाकिस्तान वैध राजनीतिक आवाजों को कुचलने, लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को दबाने और क्षेत्र को अस्थिर करने के लिए कट्टरपंथी समूहों को हथियार देता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि पूरे इतिहास में, बलूच लोगों ने अमरीका के प्रति अटूट सद्भावना दिखाई है, और अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण के दौरान, उन्होंने कभी भी अमरीका या सोवियत संघ के खिलाफ हथियार नहीं उठाए।
9/11 के बाद, मीर ने कहा कि नाटो की आपूर्ति लाइनें बलूचिस्तान से होकर गुजरती थीं, फिर भी बलूच स्वतंत्रता सेनानियों या नागरिकों ने अमरीकी कर्मियों या काफिलों पर एक भी हमला नहीं किया था।
इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने अमरीका विरोधी रैलियां आयोजित कीं। मीर ने यह भी कहा कि एक दशक तक, ओसामा बिन लादेन एबटाबाद में पाकिस्तानी सेना के संरक्षण में रहा।
मीर ने दोहरे मानदंडों की आलोचना करते हुए कहा, पाकिस्तान के अपने नेताओं ने अमरीका और पश्चिमी देशों के हितों के खिलाफ एक फर्जी जिहाद छेड़ने, सहयोगियों को धोखा देने और उग्रवाद को बढ़ावा देने की बात स्वीकार की है। फिर भी, इन्हीं कट्टरपंथियों को ‘रणनीतिक साझेदार’ बताया जा रहा है, जबकि संसाधन संपन्न बलूचिस्तान की जमीन के असली मालिकों को आतंकवादी बताकर बदनाम किया जा रहा है।”
पाकिस्तान को सैन्य वर्दी में एक दुष्ट देश बताते हुए उन्होंने कहा कि उसने बार-बार खुद को वैश्विक शांति, आर्थिक स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय विश्वास के लिए दायित्व साबित किया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने से अमरीका को एक ऐसा सहयोगी मिलेगा, जो उदार, स्थिर और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप होगा।