राज्ससभा में वित्त विधेयक – 2025 और विनियोग विधेयक संख्या तीन-2025 पर बहस जारी है। वित्त विधेयक का लक्ष्य वित्त वर्ष – 2025-26 के लिए केन्द्र सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने विधेयक पेश किया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के पी० चिदम्बरम ने कहा कि देश में खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो रही है और शिक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल का खर्च बढ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत कई तरह के संकटों से गुजर रहा है, जिनमें बढती बेरोजगारी, स्थिर पारिश्रमिक, उपभोग में गिरावट, मुद्रा अवमूल्यन, घरेलू कर्ज में बढोत्तरी और घरेलू वित्तीय बचत में कमी शामिल है। श्री चिदम्बरम ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मदों के परिव्यय ने बेरहमी से कटौती की है।
तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष ने कहा कि निजी उपभोग में बहाली नहीं हुई है और निर्धनों की क्रय शक्ति घट रही है तथा निजी निवेश में कोई बढोत्तरी नहीं हो रही है।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि लोगों को, विकसित देशों के समान करों का भुगतान करना पड रहा है जबकि सेवाएं उप-सहारा क्षेत्र के देशों के समान मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि देश में करों के बोझ के कारण खपत में कमी आ रही है। मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी के डॉ. जॉन ब्रिटास ने आरोप लगाया कि सहकारी संघवाद की बजाय देश में क्रोनी संघवाद बढ रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार यदि भारत को विकसित बनाना चाहती है तो उसे संघवाद के सिद्धान्तों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार लाखों युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास अपने वाहन, घरेलू साजो-सामान और पक्के मकान हैं। श्री पटेल ने कहा कि केन्द्र की योजनाएं लोगों तक पहुंच रही हैं और बेहतर परिणाम दिखाई पड रहे हैं। विधेयक पर बहस जारी है।