यमन और सऊदी अरब में भारत के राजदूत डॉ. सुहेल खान ने यमन के राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद-पीएलसी के अध्यक्ष डॉ. रशद अल-अलीमी से मुलाकात की। मिशन के उप प्रमुख श्री अबू माथेन और प्रथम सचिव श्री ऋषि त्रिपाठी के साथ, राजदूत खान ने द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की और देश की लगातार चुनौतियों के बावजूद यमन के साथ भारत के निरंतर सहयोग पर ज़ोर दिया।
राजदूत खान ने कहा कि यमन के लोगों के साथ हमारे सदियों पुराने संबंध हैं। हमारा लक्ष्य इस संबंध को और मज़बूत करना और सहयोग के नए रास्ते तलाशना है। हम भारत में अध्ययन के लिए यमन के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं।
भारत यमन संघर्ष में तटस्थ रुख बनाए हुए है। साथ ही भारत पीएलसी के नेतृत्व वाली सरकार की वैधता का समर्थन और एक समावेशी, यमन-नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया की वकालत करता है। मानवीय सहायता भारत की भागीदारी का एक प्रमुख स्तंभ बनी हुई है, जिसमें संघर्ष से प्रभावित आबादी को भोजन, दवाइयाँ और राहत सामग्री की निरंतर आपूर्ति शामिल है।
आर्थिक संबंध साधारण और लचीले बने हुए हैं। भारत और यमन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग एक बिलियन से अधिक अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारतीय निर्यात में चावल, गेहूं, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं।
राष्ट्रपति अब्दराबुह मंसूर हादी के इस्तीफे के बाद अप्रैल 2022 में स्थापित राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद, यमन के कार्यकारी प्राधिकरण के रूप में कार्य करती है। डॉ. अल-अलीमी की अध्यक्षता वाली इस परिषद के पास सशस्त्र बलों की कमान और राज्यपालों और वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति के अधिकार सहित व्यापक शक्तियाँ हैं। इसके आठ सदस्य यमन के राजनीतिक और क्षेत्रीय गुटों के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद, तारिक सालेह जैसे सैन्य नेता और सुल्तान अल-अरदा जैसे प्रभावशाली आदिवासी नेता शामिल हैं। पीएलसी शासन के अलावा, सैन्य रणनीति, लोक प्रशासन और राजनयिक संपर्क का भी सक्रिय रूप से समन्वय करता है।