भारत में वित्त वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी दर 25.7 प्रतिशत थी, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में उल्लेखनीय रूप से घटकर 4.86 प्रतिशत हो गई है। भारतीय स्टेट बैंक के उपभोग व्यय सर्वेक्षण पर शोध के अनुसार पिछले बारह वर्षों में शहरी गरीबी 13.7 प्रतिशत से घटकर 4.09 प्रतिशत हो गई है।
भारतीय स्टेट बैंक के इस शोध से पता चलता है कि ग्रामीण गरीबी में तेज गिरावट की वजह कमजोर वर्ग में सरकारी समर्थन से उपभोग बढ़ना है। शोध में पाया गया कि खाने पीने की वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी होने का असर खाद्य खर्च पर ही नहीं बल्कि कुल खर्च पर भी होता है।
शोध के अनुसार शहरी गरीबी में और भी कमी आ सकती है। समग्र स्तर पर भारत में गरीबी की दर अब चार प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत के बीच हो सकती है। ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय के बीच का अंतर अब 69.7 प्रतिशत तक कम हो गया है।
यह सुधार मुख्य रूप से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास, किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण आजीविका में उल्लेखनीय सुधार जैसी सरकारी पहलों के कारण है।