केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज भारत के जहाज निर्माण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 69 हजार 725 करोड़ रुपये के एक व्यापक पैकेज को मंज़ूरी दी।
नई दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह पैकेज घरेलू क्षमता को मज़बूत करने, दीर्घकालिक वित्तपोषण में सुधार और ग्रीनफील्ड एवं ब्राउनफील्ड शिपयार्ड विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया एक चार-स्तंभीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी क्षमताओं और कौशल को भी बढ़ाएगा और एक मज़बूत समुद्री बुनियादी ढाँचा बनाने के लिए कानूनी, कराधान और नीतिगत सुधारों को लागू करेगा।
उन्होंने कहा कि इस पैकेज के तहत, जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना को 31 मार्च 2036 तक बढ़ाया जाएगा, जिसकी कुल राशि 24 हजार 736 करोड़ रुपये होगी। श्री वैष्णव ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य भारत में जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करना है और इसमें चार हज़ार करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन के साथ एक शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सभी पहलों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन भी स्थापित किया जाएगा।
श्री वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 10 लाख 91 हजार रेल कर्मचारियों को 78 दिनों के उत्पादकता आधारित बोनस के रूप में एक हज़ार 865 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान को मंज़ूरी दे दी है।
पात्र रेल कर्मचारियों को उत्पादकता आधारित बोनस का भुगतान प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा और दशहरा की छुट्टियों से पहले किया जाता है। बोनस का भुगतान रेल कर्मचारियों को रेलवे के प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए प्रेरित करने हेतु एक प्रोत्साहन के रूप में कार्य करता है।
श्री वैष्णव ने कहा कि मंत्रिमंडल ने पंद्रहवें वित्त आयोग चक्र 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए दो हज़ार 277 करोड़ रुपये से अधिक के कुल परिव्यय के साथ वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (डीएसआईआर)/सीएसआईआर क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास योजना को मंज़ूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि यह योजना सीएसआईआर द्वारा कार्यान्वित की जा रही है और देश भर के सभी अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों, प्रतिष्ठित संस्थानों और विश्वविद्यालयों को कवर करेगी। उन्होंने कहा कि यह पहल विश्वविद्यालयों, उद्योग, राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों में करियर बनाने के इच्छुक युवा, उत्साही शोधकर्ताओं के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि प्रख्यात वैज्ञानिकों और प्रोफेसरों के मार्गदर्शन में, यह योजना विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग, चिकित्सा और गणितीय विज्ञान के विकास को बढ़ावा देगी।