बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम-2025, एक अगस्त से लागू होगा। इसका उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में शासन मानकों में सुधार लाना और जमाकर्ताओं एवं निवेशकों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस वर्ष 15 अप्रैल को अधिसूचित इस अधिनियम का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में लेखापरीक्षा गुणवत्ता में सुधार लाना और सहकारी बैंकों में निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशकों के अलावा) का कार्यकाल बढ़ाना है।
अधिनियम के प्रावधानों का उद्देश्य “पर्याप्त ब्याज” की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करना है। यह 1968 से अपरिवर्तित रही सीमा को संशोधित करेगा।
इसके अलावा, ये प्रावधान सहकारी बैंकों में निदेशक के कार्यकाल को 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप बनाते हैं, जिसमें अधिकतम कार्यकाल 8 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) कर दिया गया है।
बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 में पांच कानूनों, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम-1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम-1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम-1955, और बैंकिंग कंपनियाँ (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 में कुल 19 संशोधन शामिल हैं।