बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने आज विधानसभा चुनाव के लिए अपने संयुक्त घोषणापत्र का पहला भाग अति-पिछड़ा न्याय संकल्प जारी किया। इसमें अति पिछड़ा वर्ग के लिए कई घोषणाएँ की गईं।
इसमें गठबंधन ने नगर निकायों और पंचायती राज संस्थाओं में विभिन्न पदों पर अति पिछड़ा वर्ग के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया है। इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की तर्ज पर अति पिछड़ा वर्ग के लिए एक कानून बनाने का संकल्प भी लिया।
गठबंधन ने कहा कि सरकार बनने पर आरक्षण की सीमा को जनसंख्या के अनुपात में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाया जाएगा और इसे न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
गठबंधन ने अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के बेघर लोगों को घर बनाने के लिए मुफ्त जमीन देने का भी वादा भी किया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश साहनी और वामपंथी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने इस दस्तावेज को जारी किया।
सरकार बनने के बाद निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रवेश के लिए आधी सीटें अति पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की जाएँगी। 25 करोड़ रुपये के ठेकों में इन समूहों के लिए आरक्षण का भी वादा किया गया है।
महागठबंधन ने राज्य के सभी निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण लागू करने का भी संकल्प लिया। इसके अतिरिक्त, आरक्षण प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक उच्चस्तरीय नियामक प्राधिकरण के गठन की भी घोषणा की।