नेपाल में रविवार को काठमांडू में जलवायु परिवर्तन, पर्वत और मानवता के भविष्य विषय पर आयोजित तीन दिवसीय बहु-हितधारक संवाद मंच सागरमाथा संवाद संपन्न हुआ। इसमें पर्वतों की रक्षा के लिए कार्रवाई के आह्वान किया गया।
सागरमाथा संवाद ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन, पेरिस समझौते और सतत विकास के लिए वर्ष 2030 एजेंडे को लागू करने की प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की।
संवाद ने विकासशील देशों, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील देशों के लिए द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वैकल्पिक स्रोतों से अंतर्राष्ट्रीय जलवायु निधि तक न्यायसंगत और सरलीकृत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयासों पर बल दिया।
समापन समारोह को संबोधित करते हुए नेपाल के विदेश मंत्री डॉ. आरज़ू राणा देउबा ने कहा कि यह संवाद पर्वतीय देशों से लेकर द्वीपीय देशों तक जलवायु संकट के मुद्दों को उठाने में सक्षम रहा है। इसने नीति निर्माताओं, नेताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और समुदायों की आवाज़ को एक मंच पर एक साथ लाया।
नेपाल सरकार ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2027 में सागरमाथा संवाद का अगला संस्करण आयोजित करेगी और इस तरह के संवाद हर दो साल में आयोजित किए जाएंगे। सागरमाथा संवाद के पहले संस्करण में तीन दर्जन से अधिक देशों के कुल 175 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सागरमाथा संवाद के दौरान हिंदूकुश हिमालय क्षेत्र की मंत्री स्तरीय बैठक भी हुई। इस बैठक में हिंदूकुश क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए सहयोग पर बल दिया गया।