पर्यावरण, वानिकी और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अबूधाबी में आईयूसीएन विश्व संरक्षण कांग्रेस के दौरान आईयूसीएन के अध्यक्ष रज़ान खलीफा अल मुबारक के साथ एक उच्चस्तरीय गोलमेज बैठक में भारत के हस्तक्षेप का नेतृत्व किया। इस सत्र में बेलेम में जलवायु कार्रवाइयों और कॉप-30 की रूपरेखा के लिए प्रकृति आधारित समाधानों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
श्री सिंह ने कहा कि विज्ञान और पारम्परिक ज्ञान को पूरक के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने जलवायु कार्रवाइयों के लिए साक्ष्य आधारित और सांस्कृतिक ढांचे का आह्वान किया। श्री सिंह ने कहा कि प्रकृति के प्रति भारत का सम्मान इसकी परम्पराओं में गहराई से समाया हुआ है। यह स्थानीय हालातों की अनुकूलता और पर्यावरण के साथ तालमेल को बढ़ावा देता है। आधुनिक विज्ञान निरन्तरता और जलवायु परिवर्तन को परिभाषित करता है। श्री सिंह ने कहा कि ये सिद्धांत भारत की जीवनचर्या में चिरकाल से प्रतिबिम्बित होते रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मिशन लाइफ पहल का उल्लेख करते हुए श्री सिंह ने इसे लोगों द्वारा संचालित वैश्विक आंदोलन बताया। यह आंदोलन पारंपरिक ज्ञान को जलवायु कार्रवाई में परिवर्तित कर रहा है।
श्री सिंह ने संयुक्त अरब अमीरात के जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण मंत्री डॉक्टर अम्ना बिन्त अब्दुल्ला अल दहक से भी मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य जलवायु कार्रवाई, जैव-विविधता संरक्षण और सतत विकास में भारत-संयुक्त अरब अमीरात सहयोग को सशक्त बनाने के उपायों पर चर्चा करना था।
श्री सिंह ने कहा कि आईयूसीएन जलवायु न्यूनीकरण और अनुकूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों को आकार देने के लिए सम्मिलित परम्परागत और वैज्ञानिक जानकारी में एक महत्वपूर्ण सेतु के रूप में सेवा प्रदान करेगा। आईयूसीएन में 170 देशों के सदस्य और एक हजार छह सौ से अधिक सिविल सोसाइटी के संगठन शामिल हैं।