उत्तराखंड के कुमाऊं में कई त्योहार हैं जो भाई-बहन के बीच अनोखे प्यार को दर्शाते हैं। इन्हीं में से एक है च्यूड़े का त्योहार। च्यूड़े का त्योहार भैया दूज के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के लिए ओखल में भीगे धान को कूटकर च्यूड़ा बनाया जाता है।
भैया दूज के दिन बहन इन च्यूड़ो को भाई के सिर पर रखकर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। च्यूड़ा बनाने के लिए गांवों में महिलाएं दिवाली से दो-चार दिन पहले नए धान को पानी के बर्तन में भिगो देती हैं। गोवर्धन पूजा के दिन धान को पानी से निकालकर लोहे की कड़ाही में भूना जाता है। फिर महिलाएं इसे ओखल में मूसल से कूटती हैं, इससे च्यूड़ा तैयार हो जाता है।
साथ ही भैया दूज के दिन देवताओं को नए अनाज से बने च्यूड़े चढ़ाने की वर्षों पुरानी परंपरा आज भी गांवों में देखने को मिलती है। बागेश्वर से पर्यावरण प्रेमी किशन मलड़ा बताते हैं कि च्यूड़ा खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।