उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उत्थान के साथ-साथ उसकी बौद्धिक और सांस्कृतिक गंभीरता में भी वृद्धि होनी चाहिए। नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री धनखड़ ने बौद्धिक और सांस्कृतिक उत्थान को बहुत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इसके बिना यह उत्थान टिकाऊ नहीं होगा और यह देश की परंपराओं के अनुकूल नहीं है। श्री धनखड़ ने संस्कृत, तमिल, पाली और प्राकृत जैसी सभी शास्त्रीय भाषाओं को सम्मिलित करते हुए भारतीय शास्त्रीय ग्रंथों के डिजिटाइज्ड कोष के सृजन करने पर बल दिया।
इसी कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारतीय ज्ञान परंपरा, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से लेकर आयुष की वैश्विक मान्यता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पुनरूत्थान का साक्षी बनी है।