रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय आज अपना 69वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस वर्ष, संगठन ने आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने पर विशेष जोर दिया है। देश के रक्षा ईको सिस्टम में संगठन की उभरती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, डीजीक्यूए के महानिदेशक, एन. मनोहरन ने कहा कि गुणवत्ता परिचालन तत्परता और विश्वसनीयता का आधार बनी हुई है।
ऑपरेशन सिंदूर को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि डीजीक्यूए की भूमिका का महत्व स्पष्ट हो गया है, क्योंकि उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। श्री मनोहरन ने कहा कि जब गुणवत्ता सुनिश्चित होती है, तो प्रदर्शन और मिशन के उद्देश्य, दोनों ही निर्बाध रूप से प्राप्त होते हैं।
श्री मनोहरन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को सुधारों का वर्ष घोषित किया है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में, डीजीक्यूए ने गुणवत्ता आश्वासन को मज़बूत करने के उद्देश्य से कई सुधार शुरू किए हैं, साथ ही व्यापार में आसानी और रक्षा उद्योगों, एमएसएमई और स्टार्टअप्स को सहायता सुनिश्चित की है।
महानिदेशक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में, डीजीक्यूए लगभग 33 प्रयोगशालाओं के साथ-साथ तोपखाने और वायु रक्षा प्रणालियों के परीक्षण करने वाले प्रूफ़ प्रतिष्ठानों की प्रत्यक्ष देखरेख करता है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये सुविधाएँ अब निजी उद्योग के लिए पूरी तरह से खुली हैं, जो साझेदारी और सहायता की ओर एक निर्णायक बदलाव को दर्शाता है।
श्री मनोहरन ने यह भी कहा कि रक्षा सामग्री के प्रूफ़ और परीक्षण में उद्योग की सहायता के लिए रक्षा परीक्षण और मूल्यांकन संवर्धन निदेशालय का गठन किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि इसके साथ ही, देश के पाँच अलग-अलग क्षेत्रों में उद्योग को मौके पर ही और त्वरित गुणवत्ता आश्वासन और पंजीकरण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए एक नया गुणवत्ता आश्वासन निदेशालय (क्षेत्रीय) स्थापित किया गया है।
डीजीक्यूए भारतीय सशस्त्र बलों के लिए खरीदे गए सैन्य उपकरणों और भंडारों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने वाली नोडल एजेंसी है। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के अधीन कार्यरत डीजीक्यूए, हथियारों, गोला-बारूद और विभिन्न सैन्य उपकरणों की विश्वसनीयता, सुरक्षा और प्रभावशीलता की गारंटी के लिए उनका निरीक्षण, परीक्षण और प्रमाणन करता है।