नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ज्ञान भारतम् का आज समापन हो गया। गृह मंत्री अमित शाह ने इस सम्मेलन की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इस सम्मेलन का विषय था – पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारतीय ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना। श्री शाह ने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच के साथ शुरू किया गया है ताकि पांडुलिपियों, बिर्च छालों, ताम्र पत्रों, शिलालेखों और अभिलेखों में संकलित भारत के ज्ञान, विज्ञान तथा शोध को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन ने विश्व की समृद्ध ज्ञान परंपराओं से जुड़े विद्वानों, शोधकर्ताओं और युवाओं को एक साझा मंच प्रदान किया है। श्री शाह ने कहा कि ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ चार सौ 83 करोड़ रुपये की लागत से देश भर में एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और विश्लेषण करके पूरी दुनिया को भारत की अकल्पनीय ज्ञान विरासत से पुन: जोड़ने जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान भारतम मिशन भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना की आवाज़ बनने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि भारत के पास लगभग एक करोड़ पांडुलिपियों का विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है। उन्होंने कहा कि इतिहास में करोड़ों पांडुलिपियां नष्ट हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे दर्शाती हैं कि हमारे पूर्वज ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा के प्रति कितने समर्पित थे।
असम सरकार के ऐतिहासिक और पुरातत्व अध्ययन विभाग की अनुसंधान निदेशक डॉ. संगीता गोगोई ने कहा कि यह सम्मेलन भारत की पांडुलिपि विरासत को जोड़ने का एक सूत्र है।
गुजरात के सूरत से एक अन्य प्रतिभागी, विशिका जैन ने कहा कि ज्ञान भारतम एक सार्थक पहल है जो देश भर के लोगों को एक साथ लाती है।
सम्मेलन के पहले दिन, केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन का उद्देश्य भारत की पाण्डुलिपि विरासत को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है। श्री शेखावत ने बताया कि इस मिशन के अंतर्गत 25 क्लस्टर, 20 क्षेत्रीय केंद्र और दस उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।
हमारे संवाददाता ने बताया कि देश-विदेश के विद्वानों, विशेषज्ञों, संस्थानों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं सहित एक हज़ार एक सौ से अधिक प्रतिभागियों ने सम्मेलन में भाग लिया।