भारतीय स्टेट बैंक- एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी बातों, लचीले वित्तीय क्षेत्र और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित कर वित्तीय वर्ष 2026 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है।
एसबीआई ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि का अनुमान 6 दशमलव 5 प्रतिशत लगाया है, जिसे चौथी तिमाही में 7 दशमलव 4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि का समर्थन प्राप्त है। इस वृद्धि को तिमाही के दौरान पूंजी निवेश में 9 दशमलव 4 प्रतिशत की वृद्धि से मदद मिली। पूरे वर्ष के लिए, पूंजी निर्माण में 7 दशमलव 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
चौथी तिमाही में, उद्योग और सेवा क्षेत्र में क्रमशः 6 दशमलव 5 प्रतिशत और 7 दशमलव 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। निर्माण क्षेत्र में छह तिमाहियों में सबसे अधिक 10दशमलव 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि विनिर्माण में 4 दशमलव 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष के दौरान निजी खपत में 7 दशमलव 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई और निर्यात में 6 दशमलव 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
हालांकि, वित्त वर्ष 25 में आयात में 3 दशमलव 7 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि चौथी तिमाही में इसमें 12 दशमलव 7 प्रतिशत की तीव्र गिरावट आई। एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा कि घरेलू बचत में वृद्धि मुद्रास्फीति पैदा किए बिना विकास को सहारा देने में मदद करेगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि वैश्विक और भू-राजनीतिक जोखिम अभी भी भविष्य के लिए चिंता का विषय हैं। कुल मिलाकर, लगभग सभी क्षेत्रों ने वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही में मजबूत प्रदर्शन दिखाया, जिससे वित्त वर्ष 2026 के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण सामने आया।