जुलाई 10, 2025 7:25 अपराह्न

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दिल्ली विधानसभा के अध्‍यक्ष विजेन्‍द्र गुप्‍ता ने अपने वक्तव्य में भारत की संवैधानिक विरासत से पुनः जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया

दिल्ली विधानसभा ने वर्ष 1911 से 1946 के पूर्व-स्वतंत्रता भारत की संसदीय प्रणालियाँ और स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय प्रतिनिधियों की भूमिका विषय पर आज एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी में देश के प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों ने हिस्‍सा लिया और देश के स्वतंत्रता आंदोलन को सुदृढ़ बनाने वाली विधायी‌ परंपराओं तथा वैचारिक आधारों पर संवाद किया।

    इस अवसर पर विधानसभा अध्‍यक्ष विजेन्‍द्र गुप्‍ता ने अपने वक्तव्य में भारत की संवैधानिक विरासत से पुनः जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पंडित मालवीय और विठ्ठलभाई पटेल जैसे नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि एक सदी पहले भी हमारे विधायी प्रतिनिधि लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता और सदन की मर्यादा के प्रतीक थे। श्री गुप्ता ने कहा कि यह संगोष्ठी एक दीर्घकालिक शैक्षणिक पहल की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य भारत की पूर्व-स्वतंत्रता विधायी परंपराओं का दस्तावेजीकरण करना और उसे जनमानस से जोड़ना है।

    इस संगोष्‍ठी में विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय समेत कई विद्वान शामिल हुए।

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