प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वन रैंक वन पेंशन-ओआरओपी को लागू करने का निर्णय लंबे समय से चली आ रही मांग और अपने सैनिकों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता प्रकट करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। इस योजना के आज 10 साल पूरे होने पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में, श्री मोदी ने कहा कि यह पहल उन योद्धाओं और भूतपूर्व सैनिकों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि है, जो राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर करते हैं।
केंद्र की वन रैंक वन पेंशन-ओआरओपी योजना पूर्व सैनिकों के लिए उचित और समान पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार की परिवर्तनकारी योजना है। इस योजना में समान रैंक और समान सेवा अवधि के साथ सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों को समान पेंशन मिलती है, चाहे इनके सेवानिवृत्ति की तारीख कोई भी हो। रक्षा मात्रालय ने बताया है कि चालू वित्त वर्ष में ओआरओपी का व्यय चार हजार 468 करोड रुपये से अधिक है। मंत्रालय ने बताया है कि इस वर्ष 30 सितम्बर तक 895 करोड रुपये से अधिक की राशि सशस्त्र सेनाओं के पेंशनधारकों को दी जा चुकी है। पेंशन हर पांच वर्ष में संशोधित होती है। अंतिम बार संशोधित पेंशन इस वर्ष एक जुलाई से लागू हुई।