लोकसभा में आज रेलवे (संशोधन) विधेयक- 2024 को विचार और पारित करने के लिए लाया गया। विधेयक का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करना और निकाय की कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता को बढ़ाना है।
यह भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम 1905 को निरस्त करता है, और रेलवे बोर्ड से संबंधित प्रावधानों को रेलवे अधिनियम, 1989 में शामिल करता है। इससे कानूनी ढांचा सरल हो जाएगा और दो कानूनों को संदर्भित करने की आवश्यकता कम हो जाएगी।
विधेयक को आगे बढ़ाते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य रेलवे क्षेत्र में और अधिक दक्षता लाना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में भारतीय रेलवे में महत्वपूर्ण विकास हुए हैं। दस साल पहले रेलवे का बजट करीब 29 हजार करोड़ रुपये था और अब दो लाख 52 हजार करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में 44 हजार किलोमीटर रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण किया गया।
विधेयक पर बोलते हुए कांग्रेस के मनोज कुमार ने आशंका जताई कि यह विधेयक रेलवे के निजीकरण का रास्ता खोल देगा। उन्होंने वंदे भारत रेलगाडियों में मंहगे टिकट किराए का मुद्दा भी उठाया।
भाजपा के रवि किशन ने मोदी सरकार के तहत रेलवे की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से रेलवे की भ्रष्टाचार से भरी छवि में सुधार हुआ है।
समाजवादी पार्टी के नीरज मौर्य ने सरकार से रेलवे को निजीकरण से दूर रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए।
शिवसेना- यूबीटी के अरविंद गणपत सावंत ने रेलवे के स्वामित्व वाली भूमि पर अतिक्रमण के बारे में चिंता व्यक्त की। इस विधेयक पर चर्चा चल रही है।