प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला जंगली फल, काफल इन दिनों लोगों की आजीविका का साधन बन रहा है। ग्रामीण, जंगलो से काफल तोड़कर इसे बाजारों और सड़क किनारे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। चम्पावत जिला मुख्यालय सहित विभिन्न स्टेशनों और मार्गों सहित जगह-जगह सड़क किनारे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं, पुरुष और बच्चे काफल को 150 से 200 रुपये किलो में बेच रहे हैं।
काफल बेच रहे नारायण दत्त जोशी ने बताया कि लगभग ढाई से तीन महीने काफल का सीजन चलता है। उन्हें एक हजार से दो हजार रुपये प्रतिदिन कमाई हो जाती है।
वहीं, सोबन सिंह जीना परिसर चम्पावत में वनस्पति विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर कविता खत्री ने बताया कि काफल में औषधीय गुणों के साथ मिनरल्स और विटामिन्स की प्रचुर मात्रा होती है, जो शरीर के लिये लाभदायक है।